> सॉफ्टवेयर क्या होते है?
» सॉफ्टवेयर वे होते है जिनके बिना हम कंप्यूटर हार्डवेयर का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
» सॉफ्टवेयर बहुत सारे प्रोग्रामस का एक संग्रह होता है और प्रोग्रामस बहुत सारे इंस्ट्रक्शनस का संग्रह होता है।
» प्रोग्राम सॉफ्टवेयर में किसी एक टास्क को पूरा करने के लिए बनाये जाते है।
» प्रोग्राम बनाने के लिए इंस्ट्रक्शन एक कोड लैंग्वेज अर्थात प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखते है।
» दुनिया का सबसे पहला प्रोग्राम लेडी ऐडा लवलेस ने लिखा था।
» लेडी ऐडा लवलेस कंप्यूटर के जनक चार्ल्स बैबेज की स्टूडेंट थी।
> सॉफ्टवेयर कितने प्रकार के होते है?
» सॉफ्टवेयर तीन प्रकार के होते है।
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर
2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर
3. यूटीलिटी सॉफ्टवेयर
1. सिस्टम सॉफ्टवेयर › सिस्टम सॉफ्टवेयर वे होते है जो हमें हमारे सिस्टम में पहले से मिलते है। इनके बिना हम अपने कंप्यूटर का इस्तेमाल नहीं कर सकते। ये वे सॉफ्टवेयर होते है जिनके बिना हम एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर और यूटिलिटी सॉफ्टवेयर का प्रयोग नहीं कर सकते।
सिस्टम सॉफ्टवेयर में दो प्रकार के सॉफ्टवेयर आते है ›
»» ऑपरेटिंग सिस्टम
»» लैंग्वेज ट्रांसलेटर
2. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर › एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर वे होते है जो यूजर अपनी आवश्यकतानुसार अपने सिस्टम में इनस्टॉल करता है।
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर में भी दो प्रकार के सॉफ्टवेयर आते है ›
»» होरीज़ोंटल सॉफ्टवेयर/जनरल पर्पज़ सॉफ्टवेयर
»» वर्टीकल सॉफ्टवेयर/स्पेशल पर्पज़ सॉफ्टवेयर
3. यूटीलिटी सॉफ्टवेयर › यूटीलिटी सॉफ्टवेयर वे होते है जो हमारे सिस्टम की कार्यक्षमता को बढ़ाते है। ये ऑपरेटिंग सिस्टम की सेवाओं को बढ़ाने का कार्य करते है।
यूटीलिटी सॉफ्टवेयर में आने वाले सॉफ्टवेयर ›
»» डिस्क क्लीनअप
»» डिवाइस ड्राइवर
»» डिस्क डिफरेगमेंटेशन
»» बैकअप और रिकवरी सॉफ्टवेयर
»» एंटीवायरस
»» फायरवाल
»» क्लिपबोर्ड मैनेजर
सिस्टम सॉफ्टवेयर :
ऑपरेटिंग सिस्टम »» ऑपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो हमारे कंप्यूटर के सभी हार्डवेयर कम्पोनेंट और सारे एप्लीकेशन और यूटीलिटी सॉफ्टवेयर को ऑपरेट करता है।
बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के हम कंप्यूटर का प्रयोग नहीं कर सकते। ये हमारे पुरे कंप्यूटर सिस्टम को ऑपरेट करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर और हार्डवेयर के बीच इंटरफेस का कार्य करता है। यूजर को एक फ्रेंडली एनवायरनमेंट प्रदान करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम को रिसोर्स मैनेजर भी कहा जाता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के कार्य ›
»» फ़ाइल मैनेजमेंट › हम कंप्यूटर में सभी फ़ाइलो को मैनेज करके रख सकते है ये सुविधा हमें ऑपरेटिंग सिस्टम ही देता है।
»» डिवाइस मैनेजमेंट › ऑपरेटिंग सिस्टम हमारे कंप्यूटर से जुड़े सारे डिवाइसेस इंटरनल और एक्सटर्नल दोनों जैसे : कीबोर्ड, माउस, प्रिंटर, स्कैनर आदि सभी डिवाइसेस को मैनेज करता है।
»» मैमोरी मैनेजमेंट › हमारे कंप्यूटर में मैमोरी मैनेजमेंट अर्थात रैम की आवश्यकता किस टास्क को पहले है ऐसे सभी कार्य ऑपरेटिंग सिस्टम करता है।
»» प्रोसेसर मैनेजमेंट › ऑपरेटिंग सिस्टम कंप्यूटर सिस्टम में प्रोसेसर को मैनेज करता है।
»» डिस्क मैनेजमेंट › पेंड्राइव, सी डी, डी वी डी सभी स्टोरेज डिवाइसेस को मैनेज करता है।
»» सिक्योरोटी मैनेजमेंट › ऑपरेटिंग सिस्टम फायरवाल और एंटीवायरस की मदद से सिक्योरिटी को भी मैनेज करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार >
1. सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम - सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम में एक समय में एक ही यूजर डाटा को एक्सेस कर सकता है|
सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण है : विंडो, एंड्राइड आदि|
सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम को अगर मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम बनाना है तो रिमोट लॉग इन सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना पड़ता है| जैसे : टीम व्यूअर, Ammy आदि|
2. मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम - मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम वे होते है जिनमे एक समय में एक डाटा को एक से ज्यादा यूजर एक्सेस कर सकते है|
मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण है : लिनक्स, यूनिक्स, विंडो सर्वर आदि|
ऑपरेटिंग सिस्टम के उदाहरण > विंडो, एंड्राइड,आई ओ एस, मैकिनटोश, लिनक्स, यूनिक्स|
विंडो > एक डेस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टम है| इसे माइक्रोसॉफ्ट कंपनी ने इन्वेंट किया था| विंडो का पहला Version 1.o था| विंडो में पहले इन्टनेट एक्स्प्लोरर ब्राउज़र आता था लेकिन अब विंडो 10 में एक नये ब्राउज़र MS EDGE को लॉन्च किया गया है| माइक्रोसॉफ्ट कंपनी के फाउंडर "बिल गेट्स" और "पॉल एलन" है|
एंड्राइड > एक मोबाइल फ़ोन ऑपरेटिंग सिस्टम है| एंड्राइड को गूगल कंपनी ने बनाया है| गूगल के फाउंडर "लेरी पेज" और "SERGEY BRIN" है। एंड्राइड के सारे version के नाम स्वीट्स, कूकीज और डेजर्ट के नाम पर रखे जाते है। एंड्राइड के सारे नाम अल्फाबेट रखे जाते है| एंड्राइड का पहला version अल्फा था।
IOS & Machintosh > ये दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम एप्पल कंपनी ने बनाये है| IOS एक आई फ़ोन ऑपरेटिंग सिस्टम है जबकि मैकिनटोश एक लैपटॉप और डेस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टम है| एप्पल कंपनी के फाउंडर "स्टीव जॉब्स", "Ronald Wayne", "Steve Woznniak" है|
विंडो, एंड्राइड, IOS, Machintosh सिंगल यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है अगर इन्हें मल्टी यूजर बनाना है तो रिमोट लॉग इन सॉफ्टवेयर का प्रयोग करना पड़ेगा|
लिनक्स & यूनिक्स > ये दोनों मल्टी यूजर ऑपरेटिंग सिस्टम है और इनका इस्तेमाल सर्वर पर किया जाता है|
यूनिक्स सबसे पहले आया था| यूनिक्स एक प्रोप्राइटरी अर्थात क्लोज सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम है| यूनिक्स को मेनफ़्रेम कंप्यूटर पर प्रयोग किया जाता है| मेनफ़्रेम कंप्यूटर वो होता है जिसमे एक कंपनी अपना सारा डाटा स्टोर करती है| यूनिक्स एक Paid सॉफ्टवेयर है| यूनिक्स का डेवलपमेंट "Dennis Ritchie" और "Ken Thompson" ने किया था|यूनिक्स के उदाहरण है : OSX, Solaris, BSD.
लिनक्स एक फ्री ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है| लिनक्स को "Linus Torvalds" ने डेवलप किया था| लिनक्स के उदाहरण है: Ubuntu, Fedora, Redhat, Debian, Mint, Suse.
लैंग्वेज ट्रांसलेटर > लैंग्वेज ट्रांसलेटर वो प्रोग्राम होते है जो एक लैंग्वेज को दूसरी लैंग्वेज में ट्रांसलेट करते है| कंप्यूटर को सिर्फ एक ही भाषा आती है और वो है 0 और 1 जिसे मशीन लैंग्वेज कहते है| कंप्यूटर को इसके अलावा और कोई भाषा नही आती| प्रोग्रामर को मशीन भाषा में प्रोग्राम लिखने में बहुत अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता था और ये कठिन भी थी इसीलिए कोड लैंग्वेज का निर्माण हुआ जिन्हें हम प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कहते है| हम जो भी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में कोड लिखते है उसे मशीन भाषा में कन्वर्ट करने के लिये एक लैंग्वेज ट्रांसलेटर प्रोग्राम बनाया जाता है जिससे प्रोग्राम को मशीन भाषा में आसानी से कन्वर्ट किया जा सके|
लैंग्वेज ट्रांसलेटर तीन प्रकार के होते है :
1. असेम्बलर : असेम्बलर लैंग्वेज ट्रांसलेटर असेंबली भाषा को मशीन लैंग्वेज में बदलता है| असेंबली लैंग्वेज वो होती है जिसमे हम नयूमोनिक्स कोड लिखते है| नयूमोनिक कोड जैसे : Add, Sub, Inc आदि| सभी अर्थमेटिक ऑपरेटर को असेंबली भाषा में ही लिखा जाता है|
2. कम्पाइलर : कम्पाइलर लैंग्वेज ट्रांसलेटर हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में लिखे हुए प्रोग्राम को मशीन लैंग्वेज में बदलते है| लेकिन कम्पाइलर पुरे प्रोग्राम को एक साथ मशीन लैंग्वेज में कन्वर्ट करता है|
3. इंटरप्रेटर : इंटरप्रेटर भी हाई लेवल प्रोग्रामिंग लैंग्वेज को मशीन लैंग्वेज में बदलती है लेकिन ये एक एक लाइन को मशीन लैंग्वेज में बदलता है|
एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर :
हॉरिजॉन्टल/जनरल पर्पस सॉफ्टवेयर > ये वे सॉफ्टवेयर होते है जो यूजर अपनी मर्जी से आवशयक्ता पड़ने पर इनस्टॉल करता है| ये यूजर अपनी मर्जी से नही बनवाता बल्कि Paid या फ्री अपनी मर्जी से इनस्टॉल करता है| जैसे : मीडिया प्लेयर, एम. एस. ऑफिस, ब्राउज़र, एडोब रीडर आदि|
वर्टीकल/स्पेशल पर्पस सॉफ्टवेयर > वे सॉफ्टवेयर जो किसी कंपनी द्वारा या किसी के द्वारा किसी खास उदेश्य से बनवाया जाता है| इसमें यूजर जब चाहे तब बदलाव करवा सकता है इसीलिए इसे कस्टमाइज सॉफ्टवेयर भी कहते है| जैसे : Finacle, MIBS आदि|
Finacle एक बैंक का सॉफ्टवेयर है इसे इनफ़ोसिस कंपनी द्वारा बनवाया गया था| ये सॉफ्टवेयर बैंक में प्रयोग किया जाता है|
MIBS एक मैनेजमेंट इनफार्मेशन बेस्ड सॉफ्टवेयर है| इसे एजुकेशनल इंस्टिट्यूटस और कम्पनीज ने प्रोग्रामर से अपने हिसाब से बदलाव करवाए है|
यूटिलिटी सॉफ्टवेयर :
डिस्क क्लीनअप > कंप्यूटर में टेम्पररी फाइल्स जिनकी यूजर को कोई आवशयक्ता नही होती डिस्क क्लीनअप के द्वारा हम उसे डिलीट कर सकते है|
डिवाइस ड्राईवर > डिवाइस ड्राईवर वे होते है जो एक्सटर्नल हार्डवेयर को ऑपरेटिंग सिस्टम से कनेक्ट करने का कार्य करते है| डिवाइस ड्राईवर वास्तव में एक हार्डवेयर डिवाइस को कंप्यूटर से कनेक्ट करने के लिये लिखे गये प्रोग्राम होते है| कुछ डिवाइस ड्राईवर हमे पहले से ही दिए जाते है जैसे कीबोर्ड, माउस डिवाइस के ड्राईवर पैक| इसके अलावा जब हम प्रिन्टर, स्कैनर जैसे एक्सटर्नल डिवाइस को कनेक्ट करते है तो इनके साथ इनके डिवाइस ड्राईवर भी दिए जाते है जो हमे अपने ऑपरेटिंग सिस्टम में इनस्टॉल करने पड़ते है तभी ये डिवाइस हमारे कंप्यूटर से कनेक्ट होते है|
डिस्क डिफरेगमेंटेशन > कंप्यूटर में मैमोरी ड्राइवस में थोडा थोडा स्पेस रह जाता है जिसे जोड़कर एक ड्राइव बनाना ही डिस्क डिफरेगमेंटेशन कहते है|
बैकअप और रिकवरी सॉफ्टवेयर > अगर किसी आवश्यक डाटा का बैकअप लेकर रखा जाये तो अगर वह डाटा कभी गलती से डिलीट हो जाने पर उसे रिकवरी सॉफ्टवेयर से वापीस पाया जा सकता है|
एंटीवायरस > एंटीवायरस वे सॉफ्टवेयर होते है जो हमारे कंप्यूटर को Unauthorised यूजर से बचाते है साथ ही वायरस को भी स्कैन करते है और वायरस हटाने में भी सहायता करते है|
फायरवाल > फ़ायरवॉल एक सिक्योरिटी सॉफ्टवेयर है जो हमे तब चेतावनी देता है जब हम किसी ऐसे सॉफ्टवेयर को इनस्टॉल करना चाहते है जो हमारे डाटा को या कंप्यूटर को हानि पहुंचा सकता है| ये सॉफ्टवेयर केवल चेतावनी देता है उसे रोकता नही है|
क्लिपबोर्ड मैनेजर > जो भी डाटा हम कट या कॉपी करते है उसे क्लिपबोर्ड मैनेजर ही मैनेज करता है|
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