HISTORY OF COMPUTER
IN HINDI
आधुनिक कंप्यूटर का इतिहास लगभग 40 से 50 वर्ष पुराना ही है लेकिन कंप्यूटर के विकास का इतिहास कई सो साल पुराना है जिसके बारे में आज हम यहाँ विस्तार से पड़ेंगे|
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COMPUTER |
कंप्यूटर शब्द का प्रथम प्रयोग सन् 1613 अंग्रेज
लेखक “रिचर्ड ब्रेथवेट” की पुस्तक “द यंग मैन ग्लिनिंग्स” में पाया
गया है| कंप्यूटर शब्द की उत्पति लैटिन भाषा के शब्द “COMPUTARE” से हुई है
लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है की कंप्यूटर शब्द की उत्पति “COMPUTE”
शब्द से हुई है| जो भी हो लेकिन COMPUTARE और COMPUTE दोनों का अर्थ है “गणना
करना”| इसीलिए कंप्यूटर को हिंदी में “संगणक” कहा जाता है|
यहा ये
जानना भी आवश्यक है की जिस कंप्यूटर के बारे में हम बात कर रहे है उसका आखिर पूरा
नाम क्या है :
COMPUTER
का पूरा नाम :
C : COMMONLY
O : OPERATED
M : MACHINE
P : PARTICULARLY
U : USED FOR
T : TECHNICAL
E : EDUCATION
AND
R : RESEARCH
ABACUS :
प्राचीन काल में गणना करने के लिये कई गणना यंत्रो का निर्माण हुआ जिसमे लगभग 2400 ई.पू. का अविष्कार “बेबीलोनियन” भी है लेकिन उस समय तक 0 की खोज नही हुई थी लेकिन 0 की खोज के बाद 16वी शताब्दी में चीन में “ली काई चेन” ने एक गणितीय यंत्र का आविष्कार किया जिसे आज हम अबेकस के नाम से जानते है| यहाँ ये जानना आवश्यक है कि “TIM CRANMMER” को भी अबेकस का अविष्कारक कहा जाता है|
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TIM CRANMMER |
ABACUS का पूरा नाम ABUNDANT BEADS ADDITION
CALCULATION UTILITY SYSTEM है| अबेकस को दुनिया का पहला कैलकुलेटर भी कहा
जाता है| अबेकस लकड़ी के ढ़ांचे का एक आयताकार फ्रेम होता था जिसे अन्दर तारो का
फ्रेम लगा होता था| इसमें क्षेतिज तारो में गोलाकार मोतियों के द्वारा गणना की
जाती थी| ये सबसे पहला सरल गणितीय गणना यंत्र था| इसका इस्तेमाल जोड़ने घटाने और
वर्गमूल निकालने के लिये किया जाता था| अबेकस का इस्तेमाल आज भी ब्लाइंड पर्सन्स
के लिये किया जाता है|
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ABACUS |
अबेकस लकड़ी के एक
आयताकार फ्रेम में होता है जिसको दो भागो में बांटा जाता है इसमें एक का अकार छोटा
और दुसरे का बड़ा होता है| इस फ्रेम में कई समान्तर बीड्स लगे होते है जिसमे मोती पिरोय
जाते है| इससे छोटे बच्चो को गिनती सिखाने का काम किया जाता है| इसके फ्रेम को दो
भागो में बांटा जाता है जिसमे ऊपर वाले भाग को हेवन और नीचे वाले भाग को अर्थ कहा
जाता है| इसमें गणनाओ के कार्य के लिये रोड लगाई जाती है|
इन
रोड्स में मोती लगे होते है जो डेसीमल नंबर को दर्शाते है हेवन वाले भाग में मोती
शून्य को और अर्थ वाले भाग में पांच अंक बताते है| साधारणतः प्रत्येक रोड में सात
मोती होते है|
इसी
प्रकार का एक यंत्र जापान में भी विकसित किया गया था जिसमे अंतर केवल इतना था कि
अर्थ में चार बीड्स और हेवन में एक बीड होता था|
NAPIER BONES
:
सोलहवी शताब्दी में ही स्कॉटलैंड के एक MATHMATICIAN और PHYSICIAN “JOHN NAPIER” ने NAPIER BONES का आविष्कार किया|
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JOHN NAPIER |
कुछ का मानना है कि इसका निर्माण सन् 1614 में हुआ था और
कुछ का मानना है कि इसका निर्माण सन् 1617 में हुआ था|
JOHN NAPIER
द्वारा बनाये गये यंत्र का नाम NAPIER BONES इसीलिए पड़ा क्योंकि यह यंत्र JOHN
NAPIER ने जानवरों की हड्डीयों से बनाया गया था|
इसमें
10 आयताकार पट्टियों पर 0 से 9 तक के पहाड़े इस प्रकार लिखे होते थे कि एक पट्टी के
दहाई के अंक दूसरी पट्टी के इकाई के अंको के पास आ जाते है|
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NAPIER BONES |
इस
यंत्र में गणना में प्रयोग में आने वाली प्रोद्योगिकी अर्थात तकनीक को RABDOLOGIA कहा
जाता है|
इस
यंत्र का इस्तेमाल गुणा और भाग करने के लिये किया जाता था और इसके विकसित स्वरूप का
प्रयोग लगभग 1890 ई. तक किया गया|
उस
समय इंग्लॅण्ड और पश्चिम यूरोप में गणना करने के लिये इसका इस्तेमाल बहुत अधिक
किया गया| इसके अलावा JOHN NAPIER अपने LOGARITHMS के आविष्कार के लिये भी काफी प्रचलित
हुए थे|
SLIDE RULE :
स्लाइड रूल में दो विशेष प्रकार की चिन्हित पट्टिया होती थी जिन्हें बराबर में रखकर आगे-पीछे करके लघुघणक की प्रक्रिया को पूर्ण किया जाता था| पट्टियों पर निशान इस प्रकार होते थे की किसी संख्या के शून्य वाले निशान से वास्तविक दुरी उस संख्या के किसी साँझा आधार पर लघुगणक के समानुपाती होती थी| ये लघुघनक विधि के अधार पर सरलता से गणनाए कर सकता था| इसका विकास लघभग 1620 के आस-पास हुआ था| इसके निर्माण का श्रेय विलियम ऑटरेड जो जर्मनी के थे उन्हें जाता है और इससे जोड़, घटाव, गुणा, भाग सरलता से किये जा सकते थे इसीलिए ये 16 शताब्दी में पुरे यूरोप में बहुत प्रसिद्ध हुआ|
PASCLINE :
PASCLINE के अविष्कार का श्रेय फ्रांस के “BLAIS PASCAL” को जाता है|
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BLAIS PASCAL |
BLAIS PASCAL
ने 1642 में PASCLINE का आविष्कार किया था| BLAIS PASCAL फ्रांसीसी गणितज्ञ थे|
शुरुआत में इसे ARITHMETIC मशीन के नाम से जाना गया लेकिन इसमें व्हील लगे होने के
कारण इसे PASCLINE व्हील कहा जाने लगा लेकिन अंत में इसका नाम PASCLINE पड़ा|
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PASCLINE |
PASCLINE पहली मैकेनिकल एडिंग मशीन थी| ये
तेजी से संख्याओ को जोड़ और घटा सकती थी| इसके अलावा बार-बार जोड़कर और घटाकर इसके
द्वारा गुणा भाग भी किया जा सकता था| ये मशीन औडोमीटर और घड़ी के सिधांत पर कार्य
करती थी| इस मशीन में कई दांतेदार चक्र और पुराने टेलीफोन की तरह घुमाने वाले डायल
होते थे PASCLINE में चैन और दांतेदार पहियों की एक श्रृंखला होती थी जिन पर 0 से
9 तक की संख्याये अंकित होती थी|
प्रत्येक पहिये पर दाए से बाये बने दांत 0
से 9 तक की संख्याओ का प्रतिनिधित्व करती थी| पहियों के घुमने पर ही इसके द्वारा
गणना की जाती थी| PASCLINE अपनी स्पीड और कैलकुलेशन में सटीकता के कारण बहुत ही कम
समय में बहुत अधिक तेजी से लोकप्रिय हुआ| ऐसा कहा जाता है की BLAIS पास्कल ने अपने
पिता जो की एक लेखाकार थे उनकी सहायता के लिये 19 वर्ष की आयु में इस मशीन का
निर्माण किया था|
MECHANICAL CALCULATOR OF LEIBNITZ :
इसे RECKONING मशीन
भी कहा जाता है| इसका निर्माण जर्मन गणितज्ञ और दार्शनिक “बेरन गोटफ्रेड
विल्हेल्म वॉन लेबनीज” ने किया था| यह मशीन जोड़, घटाव, गुणा और भाग करने में
सक्षम थी| GOTTFRIED ने पास्कल की मशीन को और भी ज्यादा विकसित किया और उन्होंने
ऐसी मेकानिस्म इजात की जो नंबर्स को ऑटोमेटिक गुणा करने में सक्षम थी| इसका
इस्तेमाल कार और सकूटर के स्पीडोमीटर में किया जाता है|
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MECHANICAL CALCULATOR |
इसके पश्चात् वे काफी प्रसिद्ध हुए और SIR
ISAAC NEWTON के साथ उन्होंने MATHMATICS की एक नई ब्रांच को विकसित किया जिसका
नाम उन्होंने CALCULUS रखा|
इन्होने ही कैलकुलेटर को भी इन्वेंट किया
था जो आसानी से जोड़, घटाव, गुणा और भाग करने में सक्षम था और साथ ही SQUARE ROOT
फंक्शन में भी सक्षम था|
JACQUARD LOOM :
इसकी खोज फ्रांस के
एक बुनकर “JOSEPH MARIE JACQUARD” ने 1801 में की थी| ये एक ऐसी कपड़ा बुनाई
मशीन थी जिसमे बुनाई के डिजाईन को डालने के लिये छिद्र किये हुए कार्डो का प्रयोग
किया जाता था जिन्हें “पंच कार्ड” कहते थे|
पंच कार्ड्स की मदद से कपड़ो में विभिन्न प्रकार
के पैटर्न के डिजाईन तैयार किये जाते थे| पंच कार्ड वास्तव में लकड़ी पर छिद्रों
द्वारा बनाये गये डिजाईन होते थे| एक बार जब ऑपरेटर पंच कार्ड्स को लूम में फिट कर
देता था उसके बाद लूम स्वतः ही कपड़ो पर उस पैटर्न को डिजाईन कर देता था|
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JACQUARD LOOM |
JACQUARD के इस लूम से कैलकुलेटर बनाने वाले
वैज्ञानिको को एक सम्भावना दिखी की पंच कार्ड जैसी किसी डिवाइस से इनपुट देने का
कार्य किया जा सकता है और साथ ही निर्देशों को स्टोर भी किया जा सकता है| क्यूंकि
पंच कार्ड में एक बार डिजाईन बनाने के बाद जब उसका प्रयोग किया जाता था तो वह
स्वतः ही उस डिजाईन को कपड़े पर प्रिंट कर देता था|
JACQUARD LOOM का प्रयोग आज भी किया जाता है और
पंच कार्ड की मदद से खोजकर्ताओ को स्टोरेज और इनपुट करने की तकनीको को खोजने का एक
महतवपूर्ण मार्ग मिला| इसीलिए JACQUARD LOOM ने कंप्यूटर के विकास में बहुत ही
महतवपूर्ण योगदान दिया|
DIFFERENCE ENGINE :
19वीं सदी वो सदी थी
जब कंप्यूटर को उसका जनक मिला| 1822 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के गणित के
प्रोफेसर “CHARLES BABBAGE” ने PASCLINE से प्रेरणा लेकर एक “डिफरेंस इंजन”
गणना यंत्र का निर्माण किया ताकि विश्वसनीय रिजल्ट प्राप्त किये जा सके|
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CHARLES BABBAGE |
इस
मशीन की सहायता से बीजगणितीय गणनाओ को शुद्धतापूर्वक किया जा सकता था| यह मशीन भाप
से चलती थी| इसे फर्स्ट यांत्रिकी कंप्यूटर भी कहा जाता है| ऐसा कहा जाता है की ये
परिणामो की हार्ड कॉपी भी बनाने में सक्षम थी|
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DIFFERENCE ENGINE |
ANALYTICAL ENGINE :
1833 में Charles Babbage ने ही एक नई मशीन
लांच की जिसका नाम एनालिटिकल इंजन था| ये दुनिया का पहला सामान्य उदेश्य कंप्यूटर
था जो किसी भी प्रकार की कैलकुलेशन करने में सक्षम था| इसके निर्माण के लिये
Babbage ने पीतल के गियर का इसतेमाल किया था| क्यूंकि यह मैकेनिकल इंजन था इसीलिए
यह भाप के इंजन से संचालित होता था|
एनालिटिकल इंजन पूर्णतया सव्चलित था तथा
गणित की आधारभूत क्रियाए सफलतापूर्वक कर सकता था| इसकी गति 60 गणनाए प्रति सेकंड
थी| ये सवचालित रूप से परिणामो को छाप भी सकती थी|
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ANALYTICAL ENGINE |
इसके पांच मुख्य भाग थे जिनमे मिल, स्टोर,
रीडर, कण्ट्रोल और प्रिन्टर शामिल है| जो आज के आधुनिक कंप्यूटर के चार सबसे
आवश्यक घटक है| मिल एक गणना करने वाली इकाई थी जो कार्य आज के कंप्यूटर में सीपीयू
का होता है| स्टोर की जगह मैमोरी ने ले ली है|
Analytical Engine नंबर्स को स्टोर करने में
सक्षम था| इसमें इंस्ट्रक्शन देने के लिये पंच कार्ड का प्रयोग किया जाता था| ये
एक स्टीम-पॉवरड मशीन थी| ये वास्तव में 6 डेसीमल प्लेसेस तक एक्यूरेट कैलकुलेशन कर
सकता था| रीडर और प्रिन्टर को अब input और आउटपुट डिवाइस ने रिप्लेस किया है|
एनालिटिकल
इंजन में गणना के लिये निर्देशों को लिखने में प्रसिद्ध कवि बायरन की बेटी ऐडा
लवलेस ने Babbage का साथ दिया| एनालिटिकल इंजन के लिये दुनिया का पहला
प्रोग्राम “लेडी ऐडा लवलेस” ने ही लिखा था जिस कारण उन्हें प्रथम प्रोग्रामर होने का
दर्जा मिला है|
TABULATING MACHINE :
वर्ष 1880 में न्यूयॉर्क
के एक इंजीनियर “हरमन होलेरिथ (Herman Hollerith)” ने एक इलेक्ट्रो
मैकेनिकल मशीन को विकसित किया जिसमे पंचकार्डो का इसतेमाल किया गया|
इस मशीन का प्रयोग 1890 में अमेरिका में
चल रही जनगणना में किया गया और इस मशीन का नाम होल्लेरिथ सेन्सस टेबुलेटर(Hollerith
Census Tabulator) रखा गया|
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TABULATING MACHINE |
वर्ष 1880 में जनगणना करने में 7 वर्षो का
समय लगा था लेकिन इस मशीन की सहायता से 1890 में हुई जनगणना मात्र 3 वर्षो में
पूरी हो गयी|
वर्ष 1896 में हरमन होलेरिथ ने “Tabulating
Machine Company” बनाई जो पंचकार्डो का उत्पादन करती थी| जिसका बाद में नाम बदलकर
Computer Tabulating Recording Company हो गया| लेकिन वर्ष 1924 में कंपनी का नाम
दोबारा बदलकर IBM (इंटरनेशनल बिजनेस मशीन) रखा गया जो आज पूरे विश्व में
कंप्यूटर मैन्युफैक्चरिंग करने वाली एक बड़ी कंपनी है|
MARK-1 :
वर्ष 1937 से 1943
में हावर्ड यूनिवर्सिटी के एक छात्र होवार्ड एच. एकेन “(Howard H. Aiken)”
ने जटिल गणितीय समस्याओ को हल करने के लिये दुनिया के पहले इलेक्ट्रो मैकेनिकल
कंप्यूटर मार्क-1 को IBM कंपनी की सहायता से विकसित किया| इस मशीन को बनाने में
IBM कंपनी ने ही फण्ड दिया और मशीन बनाने में भी सहायता की| IBM ने इस मशीन का नाम
“आटोमेटिक सीक्वेंस कंट्रोल्ड कंप्यूटर” रखा|
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MARK - 1 |
यह
मशीन 50-55 फीट लम्बी और 8 फीट ऊँची थी| इसमें लगभग 3000 से भी ज्यादा विद्युत
स्विच लगे थे| इसका वजन लगभग 5 टन था| इसमें इलेक्ट्रॉनिक ट्यूब और Relays क
प्रयोग किया गया था| इसका प्रयोग वर्ल्ड वार 2 में अमेरिका की नौसेना ने आवश्यक गणनाओ
में किया|
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MARK - 1 |
यह
विश्व का प्रथम पूर्ण स्वचालित इलेक्ट्रो मैकेनिकल गणना यंत्र था| संचयन के लिये
इसमें मैग्नेटिक ड्रम का प्रयोग किया जाता था|
Z1:
लगभग 1936 से 1938 के बीच एक जर्मन सिविल
इंजीनियर Kanrad Zuse ने दुनिया के पहले प्रोग्रामेबल कंप्यूटर Z1 को विकसित किया|
इसका वजन लगभग 1000KG था जिसमे लगभग 20000 पार्ट्स लगे हुए थे| यह कंप्यूटर बाइनरी
फ्लोटिंग पॉइंट नंबर्स और बूलियन लॉजिक पर आधारित थे|
ABC :
Atanasoff-Berry
Computer ABC कंप्यूटर
का पूरा नाम है| वर्ष 1937 से 1942 के बीच गणित और भौतिकी के प्रोफेसर जॉन विनसेंट
एटनासॉफ (John Vincent Atanasoff) और उनके छात्र और सहयोगी क्लिफ बेरी ने विकसित
किया| यह माना जाता है की यह पहला इलेक्ट्रॉनिक डिजिटल कंप्यूटर (First Electronic
Digital Computer) था| इसमें पहली बार वैक्यूम टयूब्स का प्रयोग किया गया
था| ABC कंप्यूटर लगभग 30 निर्देश प्रति सेकंड निष्पादित कर सकता था| इसमें वॉन
न्यूमेन आर्किटेक्चर के सिधांत का पालन किया गया जिससे मैमोरी और गणना अलग-अलग थे|
दिए गये डाटा में सभी संख्याओ को प्रदर्शित करने के लिये बाइनरी डिजिट(1 और 0) का
प्रयोग किया गया|
ENIAC :
Electronic
Numerical Integrator and Calculator ENIAC का पूरा नाम है| वर्ष 1945 से 1946 में जे.
प्रेस्पेर एकर्ट (J. Presper. Eckert) और जॉन मौचली (John Mauchly) ने एनिएक को
विकसित किया| इसे पहला डिजिटल कंप्यूटर भी कहा जाता है| यह 20 Accumulators
का एक
संयोजन था| इसका प्रयोग अमेरिका की आर्मी ने लगभग 1955 तक जटिल गणनाओ के लिये
किया| इसका प्रयोग प्राइवेट फर्मो, इंजीनियर रिसर्च एसोसिएशन और IBM कंपनी में भी
किया गया|
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ENIAC |
ऐसा माना जाता है कि इसमें लगभग 18000 वैक्यूम
टयूब्स का प्रयोग किया गया| इसके अलावा इसमें रजिस्टर, Capacitors और रिलेस
जैसे हजारो इलेक्ट्रॉनिक कॉम्पोनेन्ट का प्रयोग इसमें किया गया था| इसीलिए एनिएक
का अकार बहुत बड़ा था इसे रखने के लिये एक पुरे कमरे की आवश्यकता पड़ती थी| यह 5000
गणनाये प्रति सेकंड कर सकता था इसीलिए इसे उस समय के सबसे तेज कंप्यूटर की उपाधि
मिली| 1973 से पहले एनिएक को दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर माना जाता था लेकिन
बाद में अमेरिका की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने अपने एक फैसले में एनिएक के पेटेंट को
अमान्य ठहरा दिया लेकिन इसे बाद में FIRST GENERAL PURPOSE ELECTRONIC
COMPUTER की
उपाधि मिली|
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ENIAC |
EDSAC :
Electronic Delay Storage Automatic Calculator EDSAC का पूरा नाम था| वर्ष 1949 से 1950 में जॉन वॉन न्यूमैन के सिधांत के आधार पर प्रोफेसर Morice Wilkes जो कैंब्रिज विश्वविद्यालय में गणित प्रयोगशाला में थे उन्होंने इसे विकसित किया| यह पहला संगृहीत प्रोग्राम कंप्यूटर था|
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EDSAC |
इस कंप्यूटर में पहली बार प्रोग्राम को चलाया गया
था| यह वर्गों के पहाड़ो की भी गणना करने में सक्षम था| यह मर्करी डीलेय लाइनस का
प्रयोग मैमोरी और वैक्यूम टयूब्स का प्रयोग लॉजिक के लिये करता था| 1950 में एम वी
विकल्स और व्हीलर ने Gene आवृतियो से सम्बंधित डिफरेंस समीकरण को हल करने के लिये
EDSAC का प्रयोग किया| 1951 में मिलर और व्हीलर ने 79 अंको के प्राइम नंबर की खोज
EDSAC के प्रयोग से की|
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EDSAC |
यहा यह ध्यान देने
की बात है कि पहला संगृहीत प्रोग्राम कंप्यूटर (First Stored Programme Computer)
नही था क्योंकि किसी प्रोग्राम को इलेक्ट्रॉनिक रूप से स्टोर और निष्पादित करने
वाला पहला कंप्यूटर SSEM (Small Scale Experimental Machine) था| |
EDVAC :
Electronic Discrete Variable Automatic Computer EDVAC का पूरा नाम है| 1950 में जॉन वॉन न्यूमैन ने EDVAC का विकास किया| इसमें अंक गणितीय क्रियाओ हेतु बाइनरी अंक प्रणाली का प्रयोग किया गया तथा निर्देशों को डिजिटल प्रारूप में संगृहीत किया गया| EDVAC लगभग 30 टन का था और 150 फीट चौड़ा था|
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EDVAC |
UNIVAC :
Universal Automatic Computer Univac का पूरा नाम है| 1946 से 1951 के मध्य जे. प्रेस्पेर एकर्ट (J. Presper. Eckert) और जॉन मौचली (John Mauchly) ने अपनी संस्था में अनुप्रयोगों हेतु किया| यह इनपुट और आउटपुट की समस्याओ को शीघ्र ही हल कर सकता था| यह पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था जो सामान्य उदेश्य हेतु प्रयोग किया गया| यह कंप्यूटर सांख्यकी और शाब्दिक दोनों प्रकार के डाटा को संसाधित कर सकता था| इनपुट और आउटपुट के लिये मैग्नेटिक टेप का प्रयोग किया जाता था| किन्तु जल्द ही यह बेकार सिद्ध हो गया|
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UNIVAC |
UNIVAC 1 :
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UNIVAC-1 |
IBM 701 ABD IBM 650 :
IBM कंपनी के
संस्थापक के छोटे बेटे थॉमस वाटसन ने इस कंप्यूटर का निर्माण किया IBM कंपनी ने
पहले IBM 701 कंप्यूटर का निर्माण किया और बाद में 1955 में IBM 650 कंप्यूटर का
विकास किया|
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IBM 650 |
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IBM 701 |
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IBM 650 |
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IBM 701 |
FIRST MINI COMPUTER :
वर्ष 1965 में
डिजिटल इक्विपमेंट कॉरपोरेशन द्वारा पहला मिनी कंप्यूटर विकसित किया गया| DEC मिनी
कंप्यूटरो का सर्वाधिक उत्पादन करने वाली संस्था थी| ये छोटे, सस्ते और कम स्थान
घेरने वाले कंप्यूटर थे|
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Are the Various Kinds of Computers?
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it true that we are Too Subject to Computers?
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a Wrecked Computer
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to Shrewdly Purchase Another Computer
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Mix-ups to Stay away from While Adding Pictures to Your Site
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The Thoughts for Affecting Your Portable Application Crowd
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CTRL+A
TO CTRL+Z ਕੀਬੋਰਡ ਸ਼ੌਰਟਕਟ ਕੀਜ਼ ਪੰਜਾਬੀ
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CTRL+A
TO CTRL+Z KEYBOARD SHORTCUT KEYS IN ENGLISH
CTRL+A से CTRL+Z कीबोर्ड शॉर्टकट
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to Pick a Decent DVD Producer Programming System
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Advancement of Innovation - The Historical backdrop of Computers